बन जाती हूँ । बन जाती हूँ ।
आओ फिर आदर्शवादी स्वरूप की श्रृंखला से जुड़ जाएं, लौकाचारी निर्मित करके एक नई कहान आओ फिर आदर्शवादी स्वरूप की श्रृंखला से जुड़ जाएं, लौकाचारी निर्मित करके...
दर्द ज़िंदगी के कुछ इस कदर बढ़ गए कभी गीत तो कभी गजल बन गए जब से निकाल फेंका आप ने दि दर्द ज़िंदगी के कुछ इस कदर बढ़ गए कभी गीत तो कभी गजल बन गए जब से निकाल फें...
तू जननी है अबला ना बन, नारी तुझसे सृष्टि है नारी तुझमें। तू जननी है अबला ना बन, नारी तुझसे सृष्टि है नारी तुझमें।
मेरे अरमानों के आंगन में अनोखी बहार सी छाई है। मेरे अरमानों के आंगन में अनोखी बहार सी छाई है।
मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ। मैंने मानवता को जिंदा रखा है फिर भी, मैं व्यर्थ के आरोप जहन में लपेटे हूँ।